ये कैसी बरसात
कोई भी मुम्बईकर जीवन में कभी नहीं भूलेगा २६ जुलाई २००५ का दिन ! हमेशा की तरह वो दिन भी शुरू हुआ मुंबई की बरसात के साथ ; लेकिन दोपहर बीतते बीतते बरसात ने भयंकर रूप धारण कर लिया। शाम होते होते , मुंबई शहर की सड़कें नदियों में बदल गयी। लोग जहाँ थे वही अटक गए। उस रात हर काम पर निकला हुआ मुंबई निवासी कहीं न कहीं शरण लेकर रात बिता रहा था। बरसात का ऐसा भयानक स्वरुप कल्पना के परे था। गाड़ियां तो प्रायः पूरी तरह जल के नीचे छुप गयी थी ; लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं हुयी , जिनमे व्यक्ति सडकों पर डूब कर मरे। वो रात प्रलय की कल्पना करने के लिए पर्याप्त थी। उसी माहौल में मैंने लिखा था ये गीत। आप भी महसूस कीजिये उस दर्द को !